बड़े समय बाद आज मौका मिला है लिखने का। इसकी सबसे बड़ी वजह यह रही की ब्लॉग में हिन्दी में टाइपिंग में कुछ परेशानी हो रही थी। पर आज वो समस्या नही दिख रही। बहरहाल लम्बे समय के बाद लिख रहा हूँ, इसलिए काफी कुछ बदला हुआ होगा। कानपुर शहर दो महीने पहले छोड़ चुका हूं और अब चंडीगढ़ में हूं। डेढ़ साल तक आयी नेक्स्ट में काम करने के बाद चंडीगढ़ से नए लांच हुए हिंदुस्तान में बतौर चीफ कॉपी एडिटर काम कर रहा हूं। कानपुर याद आता है। वह शहर जहां मैं जब पहली बार आया था, तो ऐसा लग रहा था, जैसे डेल्ही से कानपुर आने का मेरा निर्णय गलत था, लेकिन बहुत जल्दी ही कानपुर में रच-बस गया और वहां के लोग, वहां के बाजार और सच कहूं तो कानपुर के हर सच से प्यार हो गया था। आज चंडीगढ़ में अपने कानपुर को बहुत मिस करता हूं। लोग कहते हैं की चंडीगढ़ सिटी ब्यूटीफुल है और यहां आने वाला यहीं का हो जाता है. बहरहाल मुझे अब तक ऐसा कोई एह्सश नहीं हुआ है। हालांकि इसकी वजह यह भी हो सकती है की शहर में रहते हुए भी इस शहर को दूर से भी पूरी तरह देख नहीं पाया हूं। लोकल खबरों के बीच शहर के बारे में जाना तो जा सकता है, लेकिन उसे महसूस नहीं किया जा सकता। कानपुर जैसा ही इस शहर को भी महसूस करना चाहता हूं। आयी नेक्स्ट में फीचर टीम के सभी सदस्यों को बहुत मिस करता हूं। अगले पोस्ट में मेरी टीम के सदस्यों का परिचय, जिन सबको मैं बहुत मिस करता हूँ।
सौरभ सुमन
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