मंगलवार, 20 मई 2008

अब हिंदुस्तान की बारी है (१)

अब हिंदुस्तान की बारी है। हिंदुस्तान का स्लोगन यही है। बात चाहे हिंदुस्तान के मार्केट की हो या मेरी। बारी तो हिंदुस्तान की ही है। २८ माचॆ को जब पहली बार यहां है था, तो मुझे डेल्ही की याद आ गयी। रांची से जब पहली डेल्ही गया था, तो प्रभात खबर का ऑफिस घाजिअबाद में बनाया गया था। वह भी एक नयी शुरुवात थी। डेल्ही में तब हमारे पास एक भी कंप्यूटर नहीं था। सारा कुछ हम दो लोगों के ही जिम्मे था। मैं और रंजन श्रीवास्तव फिलहाल वह डेल्ही में लाइव एम मीडिया के निदेशक हैं। यह कंपनी भी उन्हीं की है। हम दोनों को ही खरीदारी से लेकर डेल्ही में ऑफिस करने और टीम बनाने का काम पूरा करना था। एक साल के अंदर ही हमने डेल्ही में एक शानदार ऑफिस बना लिया था। तब १७ लोगों की टीम भी हो गई थी। प्रभात खबर का सारा फीचर डेल्ही शिफ्ट कर दिया गया। इसके अतिरिक्त खबरों का भी काम होता था. दो तेजतर्रार रिपोर्टर प्रवीण कुमार झा और अंजनी ने प्रभात खबर को कई breaking न्यूज दी। बहरहाल डेल्ही की याद इसिलए aayee ki जब मैं पहली बार गजिअबाद पहुंचा, तो वहां के वीराने को देखकर मैं परेशान हो गया। मुझे लगा शायद ही मैं यहां काम कर पाऊं। lekin धीरे-धीरे सब कुछ अपना सा लगने लगा। चंडीगढ़ में भी शुरुवात में सब कुछ बड़ा अजीब-सा लग रहा था। यहां की शान्ति mujhe सन्नाटा लग रहीथी, lekin अब सबकुछ bahut alag hai। baki अगले post mein.

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