शनिवार, 10 मई 2008

फिट है राहुल

आई नेक्स्ट जहां मैंने लगभग डेढ़ साल बिताए और बहुत कुछ सीखा। कानपुर से इतनी दूर चंडीगढ़ आने के बाद भी कुछ लोग भूलते नहीं हैं। इत्तफाक ऐसा कि चंडीगढ़ में भी लांचिंग के दौरान ही आना हुआ। लांचिंग के समय की समस्याएं और मुसीबतों से वाकिफ था, सो पहले से ही बिना छुट्टी के कड़ी मेहनत का प्लान बना चुका था।

छोटे शहर के लोगों की भावनाएं बहुत बड़ी होती हैं। कानपुर के लोगों की तरह। मुझे वह समय भी याद है, जब दिल्ली में ९ साल रहने के बाद कानपुर आया था। तब दिल्ली तो याद aa रही थी, लेकिन वहां के लोग नहीं। शायद इसकी वजह यह भी थी दिल्ली के मित्रों ने भी भूलने में ज्यादा वक्त नहीं लिया। बहरहाल, मैं बात कर रहा था कानपुर की।राहुल है उसका नाम। पहली बार मिला तो लगा कि अाई नेक्स्ट के टेस्ट के लिहाज से बिल्कुल फिट है। वैसे मेरा अंदाजा भी सही ही निकला। सबसे ज्यादा इस बात की खुशी होती है कि मैंने अपनी टीम के लोगों से जितनी उम्मीद की थी वह सब उस पर सभी खरे उतरे हैं। राहुल जब पहली बार काम पर आया था, तभी उसने मुझसे कहा था कि वह मुझे अगले दिन अफगानी चिकन खिलाएगा। डेढ़ साल हो गए और मैं चंडीगढ़ आ गया lएकं उसने मुझे अफगानी चिकन नहीं खिलाया। अपने काम में उस्ताद राहुल ने बहुत जल्द ख़ुद को साबित कर दिया। आज कानपूर में जिनको सबसे ज्यादा मिस करता हूँ उनमे से एक राहुल भी हैं। उसने हमेसा मुझे यही एह्सश कराया की वो मेरे साथ है। राहुल के बरे में फिर कभी।

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