सोमवार, 26 मई 2008

रिश्तों को भरपूर जिएं

एक बार फिर यह कहानी भी मानवीय संवेदनाओं के हत्या की कहानी थी। एक भरोसा को तोड़ने का सिलसिला था। पिछले दिनों नोएडा के आरुषि मामले में बाप पर कत्ल का आरोप और सिटी ब्यूटीफुल (चंडीगढ़) में अनुराधा हत्याकांड में पति बलिजंदर पर पत्नी अनुराधा को मारने का आरोप। दोनों ही मामलों में काफी समानता है। दोनों ही हत्याकांड में अपनों ने हत्या की। ये इतने अपने थे कि कत्ल से पहले दोनों ही मामले में कभी किसी ने सोचा भी न होगा, ऐसा हो सकता है। महिलाएं आज सेफ नहीं है, उनके लिए चारों तरफ खतरा ही है, जैसी बातें कर भले ही हम इस मामले पर आगे बात करने की जहमत न उठाएं, लेकिन इस सच्चाई से भी हम किनारा नहीं कर सकते कि दोनों ही मामलों में हत्या का कारण भी महिलाएं थी। अनुराधा हत्याकांड में पति बलिजंदर का नूर नाम की मॉडल से संबंध थे और वह उससे शादी करना चाहता था, तो आरुषि हत्याकांड में हत्यारे डॉक्टर के किसी महिला से अवैध संबंध थे। मामला यहां महिलाओं की सेफ्टी का नहीं है। यह मामला है तेजी से बदलती हमारी लाइफस्टाइल का, हमारी असि्थरता का और सब कुछ पा लेने के लिए कुछ भी कर गुजरने की जिद का। इस पूरे मामले में हमने जो सबसे बड़ी और महत्वपूणॆ चीज खोई है वह है विश्वास और रिश्ते। इन दोनों की अहमियत आज हमारे लिए खत्म होती लग रही हैं। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है, जब हमारे सामने कोई परेशानी होती है या हम किसी समस्या में होते हैं, तो सबसे पहले हमें अपनों की ही याद आती है। कहीं ऐसा न हो कि इस अंधी दौड़ में हम भी शामिल हो जाएं और फिर जरूरत पड़ने पर जब हम अपनों को आवाज लगाएं, तो दूर-दूर तक कहीं रोशनी की एक किरण तक नजर न आए। उस वक्त के इंतजार से बेहतर है हम संभल जाएं और उन रिश्तों को भरपूर जिएं, जो ईश्वर ने हमारे लिए या हमने दिल से बनाए हैं।

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