सोमवार, 11 जून 2007

भाई, सौरभ जी, मैं आ गया, लिखूं क्या???

कैंपस का मेंबर बन गया। इसमें फुरसत से योगदान करूंगा। फिलहाल तो भड़ास पर ध्यान केंद्रित है। जब उसमें लोग इतना भड़ास उगल देंगे कि उसे मजबूरन बंद करना पड़े तो उसके बाद आप के ब्लाग पर सक्रिय रूप से हिस्सेदारी करूंगा। वैसे मुझे पता है कि भड़ास का भविष्य एक महीने से ज्यादा नहीं है। जिस तरह के पोस्ट आ रहे हैं उससे लगता है कि यह ज्यादा दिन चलेगा नहीं। फिर भी, एक नया अनुभव और संस्मरण और तकनीकी दक्षता का अनुभव तो मिलेगा ही। यही पूंजी आगे काम आएगी। आप कृपया अपने ब्लाग पर रेगुलर या वीकली बेसिस पर जरूर लिखा करें। और कोशिश करें कि दो की जगह एक ब्लाग चलाएं। ज्यादा ब्लाग बनाने पर उनके डेड होने का खतरा रहता है।
बाकी बाद में
यशवंत

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