हाँ तो मैं कह रह था कि युनिवर्सिटी की लड़कियों के चाल चलन को देखकर मेरे अन्दर के अरविंद ने कहा कि बिडू राहुल और चिन्टू की तरह रहने से कोई घास नही डालने वाला नही है....अब इनके दिन लड़ गए हैं..अब इमेज बदलकर वापस ८० के दशक के विजय (अमिताभ बच्चन ) बन जाओ....लड़कियों से अपनी तरफ से बात मत करो....क्लास में क्रन्तिकारी बाते करो...जिस रस्ते से वो जाती हैं, उसी रस्ते की किसी चाय की दुकान के मेम्बेर्शिप लेकर अपना जयादा समय वही गुजरो .........जैसे ही लडकियां गुज़रे चाय सुडकने के साथ सिगरेट का शुट्टा मारो.......शाम होते ही बियर कि दुकान पर रोज़ हाजरी लगाओ....साथ में उन चिन्टू और बिल्लू टाईप के लड़को को ले जाओ, जो लड़कियों से चिपके रहते हैं ... इससे फायदा ये होगा कि वो क्लास कि लड़कियों के हमारे अन्ग्री यंग मैन के किस्से सुनायेंगे....भाई लोगो अपुन ने इस तरह के ढेरों नुश्खे अज्माये गए पर साला पता नही किस दुर्वाषा ऋषि का श्राप लगा था। बात बन ही नही रही थी। हारकर बजरंग बलि के भक्त बन गए .......और मन को संतोष दिलाया कि हम किसी से कम तो है नही फिर किसी के पीछे क्यों जाये....फिर सोचा पापा का अच्छा बेटा बन जाया जाये..फिर तत्काल ही युनिवर्सिटी के प्रोफसर ॐ प्रकाश मालवीय के घर पर चलने वाली एन्लिश की क्लास ज्वाइन कर ली, पर इस समय तक सिगरेट के धुँए और बियर रुपी कोल्ड ड्रिंक के अच्छे दोस्त बन चुके थे । क्लास ज्वाइन किये हुए कुछ ही दिन हुई थे कि एक लडकी जो बुर्के में थी कि थी...शायद उसका पहला दिन था, उसने मुझसे कहा कि मुझे नोट्स दे दो ...इनता सुनते ही मेरे अन्दर जोर का करंट लगा...फिर धीरे -धीरे हम अच्छे दोस्त हो गए....और हमेशा की तरह जिस तरह से दोस्ती प्यार में बदल जाती वैसा ही हुआ। कुछ समय बाद भाई कि ये हालत हो गयी कि बाकी लड़के मुझसे जलकर कहते साला बिल्कुल चिन्टू टाईप का लड़का है....हमेशा लड़कियों से चिपका रहता है। मैंने सोचा यार बेकार कि इमेज बदला ..........??
अरविंद मिश्रा !!!!!!!!!!!
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