कैम्पस यानी जिंदगी के कुछ aese पल जिसे मेरी समझ से सबने खूब जिया होगा। फिर हम भी इस मौज मस्ती भरे दिन mein कैसे पीछे रह सकते थे. शुरुआत से ही मैं थोडा शेतान टाईप की थी. बचपन मे school से लेकर बडे होने पर कालेज तक अपनी शेतानियो का ख़ूब परचम lahraayaa है। भगवान् कि दया से सहेलिया भी कुछ इसी तरह मिली। हमने क्लास ८ से ही skool बंक करना शुरू कर दिया था। पर उस समय हम कही और नही बल्कि अपनी सहेली के ही घर जा कर पूरा दिन ऎन्जॉय करते थे। और जब कालेज गए तो वहा महेने मे एक बार फिल्म देखना, चुपके से किसी दोस्त के जन्मदिन par किसी रेस्तुरांत मे जाना . एक तरह से जिंदगी का फुल मजा हमने उन दिनों लिया। कालेज मे मेरे साथ एक bhyankar vakayaa हुआ था क्या था vo..................... chaliye फिर कभी।
Pushpa शर्मा
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