बुधवार, 13 जून 2007
स्कूल के दिन ज्यादा याद आते हैं
यशवंत जी आपका बहुत-बहुत स्वागत है मेरे ब्लोग पर। मेरा ही नही यह आपका भी ब्लोग है। जब भी मैं अपना खुद का ब्लोग खोलता हूँ , तो इसमे बहुत ज्यादा संस्मरण नही होने के बावजूद मैं वापस अपने कैम्पस लाइफ में चला जाता हूँ। स्कूल के दिन मुझे ज्यादा याद आते हैं। में और मेरा दोस्त दीपक दोनो ने अपना स्कूल लाइफ ख़ूब ऎन्जॉय किया था। दोनो को चार्टर्ड एकाउंटेंट बन्ने का शौक़ था, हाँ शौक़ ही कहेंगे उसे, क्योंकि उसके लिए प्रयाश नाममात्र भी नही था। घर के पास फील्ड में बैठकर भविष्य पेर चर्चा किया कर्ता था। अब जब चिन्तन इतना गम्भीर हो तो बिना सिगेरत के दिमाग कैसे चलता, सो दोनो लोग पैसे मिलाकर एक सिगरेट खरीद्तें और उसे सुलगाकर चिन्तन में मग्न हो जाते थें । बात हमारे भविष्य से शुरू होती और देश दुनिया के भविष्य की चर्चा करते हुए फिल्म तक पहुच जाती। जब भूख लगती तो याद आता कि अब घर चलना चाहिऐ। जाने कितनी प्लानिंग करते थें हम। आज दीपक रांची में है। और हाँ जल्द ही उसकी शादी भी होने जा रही है।
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