रविवार, 17 जून 2007
वो छोटी-छोटी खुशियाँ
अरविंद जी को धन्यवाद। समय-समय पर इन्होने जिस तरह अपने कैम्पस कि यादों को हमारे साथ शेयर किया, वह वाकई मजेदार है। हालांकि मुझे कभी कैम्पस में इस तरह करने का मौका नही मिला। हाँ, जो मुझे कैम्पस में करने का मौका नही मिला, वो सब मैंने समय से पहले ही स्कूल में कर लिया था। आज भी स्कूल के कई दोस्तों से बात होती रहती है। अब तो ज़्यादातर कि शादी भी हो गयी है और कुछ के तो बच्चे भी हैं। अक्सर जब भी उनसे बातें होती हैं तो स्कूल के दिनों को याद कर खुश हो लेटा हूँ। खास बात ये कि पता ही नही चलता कि स्कूल का ज़माना बीते १३ साल हो गएँ हैं। वैसे इसका ये मतलब कतई नही है कि आज जहाँ हूँ खुश नही हूँ। बहुत खुश हूँ, लेकिन ये ऐसी ख़ुशी है, कि खुश होने से पहले भी सोचना पड़ता है। हिसाब लगता हूँ, विश्लेषण कर्ता हूँ कि क्या यहाँ खुश होना सही है। छोटी-छोटी खुशियों को सहेजना और कभी-कभी बिना किसी वजह के कुछ सोचकर ही खुश हो जाना अब भूल गया हूँ। इसलिये कैम्पस बहुत याद आता है। कई लोगों से मैंने कैम्पस कि यादों को यहाँ लिखने को कहा, लेकिन...खैर... जल्दी-जल्दी कैम्पस से जुडी ढ़ेर साड़ी यादों को इसमें जोरिये और इसे एक शानदार मंच बनाइये। दिनेश जी का भी सुक्रिया, जिन्हे मैं देखता हूँ कि वो कितना व्यस्त रहते हैं, इसके बावजूद उन्होनो कुछ लिखा। मैं चाहूँगा कि वो आगे भी लिखते रहें। प्रतिभा जी से मैं थोडा नाराज़ हूँ, क्योंकि मेरे बार-बार कहने पेर भी इन्होने सिर्फ आश्वासन ही दिया। यशवंत जी आपकी बात मानते हुए मैंने अपना दूसरा ब्लोग डिलीट कर दिया है। कभी भडास निकलने से फुर्सत मिले तो कैम्पस के दिनों को भी याद कर लीजियेगा।
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1 टिप्पणी:
सौरव भाई
कैंपस की यादों को हिलोरने के लिए धन्यवाद । दरअसल बहुत साफ कहूं तो मुझे कभी आप पर विश्वास नहीं हुआ । कारण यह है कि आप मेरे बारे में बहुत बड़ा चडाकर बोलते हैं जिसका में हक़दार ही नहीं मुझे आप वो बना देते हैं । मैंने बहुत सकुचते हुये कवितायेँ पोस्ट की थी नई इबारतें पर । दरअसल कवितायेँ मेरी निजी दिक्कतों का फलसफा ही ज्यादा हैं । इसमें आपके उस सवाल का भी जवाब निहित है कि भडास और नई इबारतें पर में कैसे अलग अलग हूँ । मुझे लगता है कि भीतर से हर आदमी के अन्दर नई इबारतें होतीं है बिल्कुल साफ सफ्फाक और निश्छल और बाहर से हर आदमी दिखना चाहता है एक भडासी । और बातें किसी पोस्ट पर होंगी । फिलहाल अलविदा
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